पहले तो तारीफ करते जाएंगे लोग
फिर तेरी तारीख भी मिटवाएंगे लोग
ज़िंदगी भर धूप से बचते रहेंगे
फिर चिता में जल के राख हो जाएंगे लोग
पहले तो उड़ते रहेंगे बिन परों के
फिर जमीन से औंधे मुँह टकराएंगे लोग
तू तो जिंदा लाश सा फिरता रहेगा
गिद्द की तरह तुझे फिर खाएंगे लोग
तू अकेला ही बढ़ेगा इस सफर में
मंजिलों के बाद साथ आ जाएंगे लोग
जिस शजर की छाँव में पलकर बढ़े हैं
उस शजर को खुद ही फिर कटवाएंगे लोग
ज़िंदगी भर धूप से बचते फिरेंगे
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